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जयति भवानी हे कल्याणी , सकल ताप परिताप हरु
देबहुँके दुःख दूर कयल मा , अधमाधम हम , पाप हरु।
जगत विदित अछि कथा अहाँक , घट घट वासिन हे मइया
कखनहु काली कखनहु दुर्गा , रूप धारिनी हे मइया
कामाख्या विंध्याचल दौड़ी , हमर मोह भवचाप हरु।।देबहुँके।।
जखन - जखन दुख बढ़लै , बनलौ , दैत्य विनासिनि हे मइया
रणमे शुम्भ - निशुम्भ संहारल , महिषा मर्दिनी हे मइया
मरुभूमि केर मृगा सनक मन , हमर दुःखक अभिशाप हरु।।देबहुँके।।
रंक निमिष भरिमे हो राजा , दौड़े आन्हर हे मइया
बौका गाबय गीत , चढ़ै गिरवर पर नांगर हे मइया
चरण ' चरणमणि ' विलखि पुकारी , हमर कलंकक छाप हरु।।देबहुँके।।
चंद्रमणि
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