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मैं खोना चाहता हूँ
यादों का वो झुरमुट
मिलन का वो एहसास
स्पर्श की वो अनुभूति
भूलना चाहता हूँ
हर वो पल
गुजरे जो साथ उनके थे
चाहता हूँ मैं यह मानना
सच नहीं वो सपने थे
माना वो गैर नहीं अपने थे
जो कुछ हुआ वो सब सपना था
अपना उनका अपना हुआ
मैं तो जन्मों का बेगाना था
उनको क्या दर्द होगा
जब दर्द ही उनका पराया था
उन्होंने कब कहा ?
मैं उनका था
सच कहा उन्होंने
मैं ही झूठा था !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 07-12-1983
चित्र गूगल के सौजन्य से
मैं खोना चाहता हूँ
यादों का वो झुरमुट
मिलन का वो एहसास
स्पर्श की वो अनुभूति
भूलना चाहता हूँ
हर वो पल
गुजरे जो साथ उनके थे
चाहता हूँ मैं यह मानना
सच नहीं वो सपने थे
माना वो गैर नहीं अपने थे
जो कुछ हुआ वो सब सपना था
अपना उनका अपना हुआ
मैं तो जन्मों का बेगाना था
उनको क्या दर्द होगा
जब दर्द ही उनका पराया था
उन्होंने कब कहा ?
मैं उनका था
सच कहा उन्होंने
मैं ही झूठा था !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 07-12-1983
चित्र गूगल के सौजन्य से
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