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न मैं फरहाद हूँ न तूँ शिरी बन
न मैं जूलियट हूँ न तूँ रोमियो बन
न मैं राँझा हूँ न तूँ हीर बन
न मैं मजनू हूँ न तूँ लैला बन
मैं मनु हूँ बस तूँ मेरी श्रद्धा बन
आस पास न है कोई यहाँ
आओ बनायें हम एक नयी दुनियाँ
लोग अपने आप में इतने खो चुके हैं
आस पास को इतना भूल चुके हैं
रह गया है चारों ओर वन ही वन
मैं मनु हूँ बस तूँ मेरी श्रद्धा बन
अगर इस से आगे बढ़ना है
दुनियाँ को कुछ दिखलाना है
मैं पृथ्वीराज बनूँ तूँ मेरी संयोगिता बन
शांत निस्तब्ध सो चूका ये संसार
हम पर ही छोड़ा है इन्होंने सारा छाड़ - भार
आओ मिलकर एक नया आयाम दें
दुनियाँ को एक नया पैगाम दें
जाग जाये जिस से
इस धरती का कण - कण
मैं मनु हूँ बस तूँ मेरी श्रद्धा बन !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 28-04-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
न मैं फरहाद हूँ न तूँ शिरी बन
न मैं जूलियट हूँ न तूँ रोमियो बन
न मैं राँझा हूँ न तूँ हीर बन
न मैं मजनू हूँ न तूँ लैला बन
मैं मनु हूँ बस तूँ मेरी श्रद्धा बन
आस पास न है कोई यहाँ
आओ बनायें हम एक नयी दुनियाँ
लोग अपने आप में इतने खो चुके हैं
आस पास को इतना भूल चुके हैं
रह गया है चारों ओर वन ही वन
मैं मनु हूँ बस तूँ मेरी श्रद्धा बन
अगर इस से आगे बढ़ना है
दुनियाँ को कुछ दिखलाना है
मैं पृथ्वीराज बनूँ तूँ मेरी संयोगिता बन
शांत निस्तब्ध सो चूका ये संसार
हम पर ही छोड़ा है इन्होंने सारा छाड़ - भार
आओ मिलकर एक नया आयाम दें
दुनियाँ को एक नया पैगाम दें
जाग जाये जिस से
इस धरती का कण - कण
मैं मनु हूँ बस तूँ मेरी श्रद्धा बन !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 28-04-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
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