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कुछ क्षण तेरे संग जो बीते
अब फिर होंगे प्रतीत न होते
दो साँसों के बीच
रहती थी न कोई चीज
दोनों ही मस्त हो लगाते थे गोते
अब फिर होंगे प्रतीत न होते
उन साँसों के बीच में बातें होती थी वही
जिसमे छिपी रहती थी
भविष्य की निधि
हर धड़कन में खुशियों के
बीज थे बोते
अब फिर होंगे प्रतीत न होते
रातों की एक दुरी
बस थी एक मज़बूरी
सारे शिकवे और गिले
क्षण भर में ही थे दूर होते
अब फिर होंगे प्रतीत न होते
होती थी हर शामें
खाने के लिए कसमे वादे
साथ जियेंगे साथ मरेंगे
दिन और रातें
अब फिर होंगे प्रतीत न होते
कुछ क्षण तेरे संग जो बीते !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 21-04-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
कुछ क्षण तेरे संग जो बीते
अब फिर होंगे प्रतीत न होते
दो साँसों के बीच
रहती थी न कोई चीज
दोनों ही मस्त हो लगाते थे गोते
अब फिर होंगे प्रतीत न होते
उन साँसों के बीच में बातें होती थी वही
जिसमे छिपी रहती थी
भविष्य की निधि
हर धड़कन में खुशियों के
बीज थे बोते
अब फिर होंगे प्रतीत न होते
रातों की एक दुरी
बस थी एक मज़बूरी
सारे शिकवे और गिले
क्षण भर में ही थे दूर होते
अब फिर होंगे प्रतीत न होते
होती थी हर शामें
खाने के लिए कसमे वादे
साथ जियेंगे साथ मरेंगे
दिन और रातें
अब फिर होंगे प्रतीत न होते
कुछ क्षण तेरे संग जो बीते !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 21-04-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
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