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वक्त -वक्त की बात है
फूलों की सेज थी जो
अब काँटों की बाग़ लगती है
पल -पल हर पल में
जो मधुर मिलन का स्वाद था
अब पल -पल हर पल में
जुदाई की एक आग है
वक्त -वक्त की बात है
कल तक जो सच था
आज वो ही सपनों की एक याद है
पल - पल में अपनों का जो एहसास था
हर पल उन्हीं आँखों में
नफरत की एक आग है
वक्त -वक्त की बात है
जर्रा -जर्रा महकता था
मिलन के एहसास से
वहीं सिसकता है कोना - कोना
जुदाई के नाम से
दिन भी लिए हुए था
रातों का एक एहसास
लुट कर भी जी रहे हैं
वक्त -वक्त की बात है
हँसते -हँसते भी आंसुओं को पी रहे हैं
वक्त -वक्त की बात है !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 15-12-1983
चित्र गूगल के सौजन्य से
वक्त -वक्त की बात है
फूलों की सेज थी जो
अब काँटों की बाग़ लगती है
पल -पल हर पल में
जो मधुर मिलन का स्वाद था
अब पल -पल हर पल में
जुदाई की एक आग है
वक्त -वक्त की बात है
कल तक जो सच था
आज वो ही सपनों की एक याद है
पल - पल में अपनों का जो एहसास था
हर पल उन्हीं आँखों में
नफरत की एक आग है
वक्त -वक्त की बात है
जर्रा -जर्रा महकता था
मिलन के एहसास से
वहीं सिसकता है कोना - कोना
जुदाई के नाम से
दिन भी लिए हुए था
रातों का एक एहसास
लुट कर भी जी रहे हैं
वक्त -वक्त की बात है
हँसते -हँसते भी आंसुओं को पी रहे हैं
वक्त -वक्त की बात है !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 15-12-1983
चित्र गूगल के सौजन्य से
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