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जिन्दगी हम यूँ ही जी लेते हैं
हँसते - हँसते गम भी पी लेते हैं
जीने का वादा किया था कभी
इसलिए मरते - मरते भी जी लेते हैं
ऐसी तो अब कोई चाह नहीं
दिल में जीने की अरमां नहीं
ज़माने को जितनी ताकत थी
उसने न कोई कसर छोड़ी
हम ही एक ऐसे हैं
मौत को भी जिससे नफ़रत है
आकाश में भी रहकर
अंधकूप की तरह जी लेते हैं
तेरे सारे शिकवे सही हैं
वो तो मैं ही जन्म जैसी झूठ से हूँ जुड़ा
मैं हूँ वो अछूत घड़ा
पैरों की ठोकर भी सबके खाकर नहीं फूटा
तेरे गालियों को सुनने के लिए
कानों को खोल लिया है
अश्रुओं को भी जब्त नहीं किया
दिल को भी नश्तर चुभाने के लिए
खुला मैंने छोड़ दिया है
पर ये भी अब अभ्यस्त हो चुके हैं
न समझोगे तुम
इनकी बेवफाई बर्दाश्त करके
कैसे हम जी लेते हैं
तेरे बड़े - बड़े धमक सह लिए
अब तेरे पास कोई बड़ी चेतावनी नहीं
नये धमकियों से हम पैबंद लगा लेते हैं
तुम्हे मेरे मरने पर
शायद थोड़ा दुःख होगा
अतएव निर्विकार जी लेते हैं
मरूँगा भी तो तेरे आत्मा की शांति के लिए
देख लेना उस दिन
किस कदर हम मौत भी पी लेते हैं !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 21-05-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
जिन्दगी हम यूँ ही जी लेते हैं
हँसते - हँसते गम भी पी लेते हैं
जीने का वादा किया था कभी
इसलिए मरते - मरते भी जी लेते हैं
ऐसी तो अब कोई चाह नहीं
दिल में जीने की अरमां नहीं
ज़माने को जितनी ताकत थी
उसने न कोई कसर छोड़ी
हम ही एक ऐसे हैं
मौत को भी जिससे नफ़रत है
आकाश में भी रहकर
अंधकूप की तरह जी लेते हैं
तेरे सारे शिकवे सही हैं
वो तो मैं ही जन्म जैसी झूठ से हूँ जुड़ा
मैं हूँ वो अछूत घड़ा
पैरों की ठोकर भी सबके खाकर नहीं फूटा
तेरे गालियों को सुनने के लिए
कानों को खोल लिया है
अश्रुओं को भी जब्त नहीं किया
दिल को भी नश्तर चुभाने के लिए
खुला मैंने छोड़ दिया है
पर ये भी अब अभ्यस्त हो चुके हैं
न समझोगे तुम
इनकी बेवफाई बर्दाश्त करके
कैसे हम जी लेते हैं
तेरे बड़े - बड़े धमक सह लिए
अब तेरे पास कोई बड़ी चेतावनी नहीं
नये धमकियों से हम पैबंद लगा लेते हैं
तुम्हे मेरे मरने पर
शायद थोड़ा दुःख होगा
अतएव निर्विकार जी लेते हैं
मरूँगा भी तो तेरे आत्मा की शांति के लिए
देख लेना उस दिन
किस कदर हम मौत भी पी लेते हैं !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 21-05-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
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