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कैसा इश्क करने चला था बंदा
देखो हो गया एक नया किस्सा
चला था करने क्या
पर देखो ये हुआ क्या
भागोगे इस जंजाल से
पर क्या है तेरी मजाल
हो न सकेगा ऐसा तुम से
रह जायेगा ये मलाल
पहले जो सोंचा होता
तो ऐसा कभी न होता
गर जो हो गया
तो फिर डर काहे का
काहे का सोंचना
कल क्या होगा माहे का
पहले जो न सोंचा
अब भी मत कुछ सोंच
सोंच - सोंच के
वृथा में क्यों देता है विष घोल
ना जाने तूँ इस जीवन का
क्या है भेद निराला
जो होवत है सो होना था
जो होना है सो होवेगा !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 26-03-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
कैसा इश्क करने चला था बंदा
देखो हो गया एक नया किस्सा
चला था करने क्या
पर देखो ये हुआ क्या
भागोगे इस जंजाल से
पर क्या है तेरी मजाल
हो न सकेगा ऐसा तुम से
रह जायेगा ये मलाल
पहले जो सोंचा होता
तो ऐसा कभी न होता
गर जो हो गया
तो फिर डर काहे का
काहे का सोंचना
कल क्या होगा माहे का
पहले जो न सोंचा
अब भी मत कुछ सोंच
सोंच - सोंच के
वृथा में क्यों देता है विष घोल
ना जाने तूँ इस जीवन का
क्या है भेद निराला
जो होवत है सो होना था
जो होना है सो होवेगा !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 26-03-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
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