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मेरा मन मंदिर सा पावन
हुआ जिसमे प्रेम का आवाहन
वर्ष दो वर्ष बीते सपनों को संजोये
पाकर सबकुछ ही इसी अन्तराल में खोये
इस जीवन का मोल अब मैंने जाना
मोल मिला नहीं बिक गया जमाना
जीवन के गंगनागन में ही जब उसके
दीप यादों के भी जला करेंगे मेरे
स्वार्थ में सबकुछ पाकर भी वो अपने
तरपती रहेंगी सदा निःस्वार्थ प्यार को मेरे
खोया है नहीं कुछ खोकर कर भी उसने
खोया है क्षणभर में अनमोल प्यार मैंने
गर वो धोखा था तो भी हसीन
खुदा करे ऐसा धोखा और दे मुझे !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 25-12-1983
चित्र गूगल के सौजन्य से
मेरा मन मंदिर सा पावन
हुआ जिसमे प्रेम का आवाहन
वर्ष दो वर्ष बीते सपनों को संजोये
पाकर सबकुछ ही इसी अन्तराल में खोये
इस जीवन का मोल अब मैंने जाना
मोल मिला नहीं बिक गया जमाना
जीवन के गंगनागन में ही जब उसके
दीप यादों के भी जला करेंगे मेरे
स्वार्थ में सबकुछ पाकर भी वो अपने
तरपती रहेंगी सदा निःस्वार्थ प्यार को मेरे
खोया है नहीं कुछ खोकर कर भी उसने
खोया है क्षणभर में अनमोल प्यार मैंने
गर वो धोखा था तो भी हसीन
खुदा करे ऐसा धोखा और दे मुझे !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 25-12-1983
चित्र गूगल के सौजन्य से
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