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दो पैसे क़ा प्रेम
है देखो फैसन बना
जहाँ - तहाँ देखो
वासना का बादल
है कितना घना
तरुण या तरुणी
दोनों हैं इस कीचड़ में पड़े
सोशायटी का अंग हैं समझते
प्रेम का ये रूप देख
शर्म से मेरी आँखें हैं गड़ी
नैतिक स्तर देखो
कितना है गिरा हुआ
पिता संतान को नहीं समझा पाता
भाई बहन को नहीं समझा पा रहा
इस दुर्भावना से
समाज कितना है क्षीण हो रहा
देख दृश्य ये
' सवेरा ' का ह्रदय
क्रन्दन है कर रहा !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 20-03-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
दो पैसे क़ा प्रेम
है देखो फैसन बना
जहाँ - तहाँ देखो
वासना का बादल
है कितना घना
तरुण या तरुणी
दोनों हैं इस कीचड़ में पड़े
सोशायटी का अंग हैं समझते
प्रेम का ये रूप देख
शर्म से मेरी आँखें हैं गड़ी
नैतिक स्तर देखो
कितना है गिरा हुआ
पिता संतान को नहीं समझा पाता
भाई बहन को नहीं समझा पा रहा
इस दुर्भावना से
समाज कितना है क्षीण हो रहा
देख दृश्य ये
' सवेरा ' का ह्रदय
क्रन्दन है कर रहा !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 20-03-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
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