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चामुण्डा
जयसि दारुणं वेश धारिणि खड्गपाशिनि हे।।
भुवन भीषण सिंहनादा दनुज धैर्य विलोपिनी।
त्वमसि रक्त निमग्न नयना दैत्य गंजनि हे ।।
शुष्क मांस भयानका कृतिरसुर समुदय पोषिणी।
द्वीपि चर्म पर वसाना चण्ड धाविनि हे ।।
मनुजमाला कलित देहा त्वमसि दानव राबिणी।
असि कराल सुरारि भौकर घोर वक्त्रीणि हे ।।
सिद्धमुनि बहु विस्मयप्रद कर्मकारिणि हे ।।
अतुल खट्वायवहस्ता लोलरसना शलिनी।
हस्तिनी मुरारि रथगज बाजि चर्विणि हे ।।
भक्त ललितेशानुमोदिनि चण्ड मुण्ड विनाशिनी।
दीनबन्धुजनैक वालिनि चित्र रूपिणि हे ।।
( तत्रैव )
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