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सरस्वती
दैतय दमनि हंसगमनि काम पालिते।।१।।
मन्द हसनि श्वेत वसनि शुक्ल मालिके।
रुचिर चिकुर चमक चटुल , मधुकरालिके।।
कुरव हरणि कुमति तरणि , देवि पालिके।
इन्द्र शरणि भक्त भरणि , वीण वादिके।।
दिअओ दरश परश पदक , विघ्नहारिके।
सकल भूप रूप मनक , मोहकारिके।।
यदुनाथ मिश्र ( मैथिली नाटकक उदभव आ विकाश )
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