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जगदम्बा
जगदम्बा भवानी हे हमरा पर दया किए करती।
नाग उपर संसार बिराजै सिंह उपर देवी काली।।
कतेक दल सौ दलमल औती असुर मारि संहारती।
ब्रह्मा घर ब्रह्माणी कहौती शिवजी के घर गौरी।।
विष्णु घरै मे लक्ष्मी कहौती तीनू लोक के ताड़ती।
सूरदास प्रभु तुमरे दरस को नित उठि माला जपती।।
सूरदास ( मिथिला संस्कार गीत )
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