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मातङ्गी
राजय जगमग माँ शिवरानिया।
रतन सिंहासन बैसि विण ल' कर बजबैत मधुर लय ध्वनिआँ।।
चकमक चान चमकि लस भालहिं मधु - मद - मूनल नैन।
वल्लकि - निक्वण - मोदित कण - कण कलकल कौरमुखक श्रुत बैन।।
विपुल नितम्ब अरुण - पट - मण्डित उरसिज - निहित - निचोल।
मुसुकि - मुसुकि मधु मतङ्गनन्दिनि शंखपत्र चुम जनिक कपोल।।
कदम - कुसुम - कृत - माल - कलित - धृत कवरि भार , चित्राङ्कित भल।
न्यस्त एक पद - पदमहिं से रहि दाहिनि ' मधुप 'हुँ करथु नेहाल।।
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