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श्यामा
श्यामा चरण कमल हम पूजब जेहि पूजे त्रिपुरारी।। सखी।।
विधि हरिहर जेहि ध्यान धरथि नित स्तुतिरत सभ असुरारी।।
रत्नमुकुट मणि नूपुर राजित मुण्डमाल छवि न्यारी।
भक्तानुग्रह कारिणि शंकरि मन्द हसन सुखकारी।।
राजलक्ष्मी शरणागत जानिय भव सँ लेहु उबारी।। सखी।।
राजलक्ष्मी
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