शनिवार, 4 मार्च 2017

698 . जय जय तारे हरु दुख भारे सहस्र सूर तुअ काँती।


                                       ६९८ 
                                    श्रीतारा
जय जय तारे हरु दुख भारे सहस्र सूर तुअ काँती। 
एक जटा तिनि नयन विराजित कुण्डल युगल सुहाती।।
रसना ललित दसन अति शोभित भूषण पन्नग जाती। 
श्याम सरोज कपाल खडग अहि कटि किंकिणि रहु पाती।।
पीन पयोधर युगल लसित उर बाघछाल छवि भ्राजे। 
पद युग कमल सदा सुरसेवित नूपुर अनहद बाजे।।
कत कत दीन दुखी तुअ तारल तेजनाथ धरु आसे। 
भूप रामेश्वर सिंह भक्त तुअ पुरिय तुरित अभिलाषे।।
                            ( भक्ति प्रकाश भजनावली ) 

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